लेखनी प्रतियोगिता -03-Apr-2022 खुशियो का पैगाम
जिंदगी मै मैं हूं ,
मेरी सुरमई शाम हो तुम,
मेरे उदासी भरी आंखों में खुशियों का पैगाम हो तुम,
मैं प्यासा सागर सा ,
और नदी का जाम हो तुम ,
मैं गुमनाम और मेरा एक नाम हो तुम,
कैसे कह दूं कि तुम से मेरी कोई पहचान नहीं,
मेरे टूटे दिल का इल्जाम हो तुम,
कैसे भुला देती हो कैसे बेवफाई कर लेती हो,
इतना आसान है किसी को छोड़ना ,
तो फिर तुम कैसे छोड़ देती हो ,
वफा करके भी मुजरिम हूं मै,
बेवफाई करके भी गुमान हो तुम,
कुछ याद है अभी भी याद कर लेती होगी,
मुझे अंखियों में तनहाई में बात कर लेती होगी
मेरे होकर भी मेरी मोहब्बत से अनजान हो तुम,
जिंदगी मै हूं ,
मेरी सुरमई शाम हो तुम,
इतना तो मौसम भी नहीं बदलता जितना तुम बदल गई ,
वादा किया मेरे साथ फिर क्यों रास्ता भटक गई,
जिन रास्तों क साथ चला करते थे
सुकून के चंद बातें किया करते थे ,
उन्हीं राहें-मंजिल कि मुकाम हो तुम ,
जिन्दगी मैं हूं ,
मेरी सुरमई शाम हो तुम,
मेरे उदासी भरी आंखों में खुशियों का पैगाम हो तुम.
Shrishti pandey
04-Apr-2022 09:35 PM
Nice
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Shnaya
04-Apr-2022 03:00 PM
Very nice
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Punam verma
04-Apr-2022 09:14 AM
Very nice
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नेहा
04-Apr-2022 02:27 PM
Thanku so much
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